Posts

झींगा पालन की आधुनिक तकनीक

Image
                        झींगा मछली - पालन झींगा मछली की खेती भारत में अभी तक झींगा उत्पादन का कार्य प्राकृतिक रूप से समुद्र के खारे पानी से किया जाता था, लेकिन कृषि में हुए तकनीकी विकास और अनुसंधान के चलते झींगा का सफल उत्पादन मीठे पानी में भी सम्भव हो चला है। देश में लगभग 4 मिलियन हेक्टेयर मीठे जल क्षेत्र के रूप में जलाशय, पोखर, तालाब आदि उपलब्ध हैं। इन जल क्षेत्रों का उपयोग झींगा पालन के लिए बखूबी किया जा सकता है। झींगा पालन का कार्य कृषि और पशुपालन के साथ सहायक व्यवसाय के रूप में किया जा सकता है। इस व्यवसाय से ग्रामीणों को छोटे से जल क्षेत्र से अच्छी खासी कमाई हो जाती है। खेती संग इस व्यवसाय को अपनाकर खेती को और लाभकारी बनाया जा सकता है। वर्तमान में देश में झींगा पालन एक बहुत तेजी से बढ़ने वाले व्यवसाय के रूप में उभरा है। पिछले दो दशकों में मत्स्य पालन के साथ-साथ झींगा पालन व्यवसाय प्रतिवर्ष 6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। आज घरेलू बाजार के साथ विदेशी बाजार में झींगा की काफी मांग बढ़ी है। हमारे देश में झींगा निर्यात की भरपूर सं...

डेहलिया फूल के बीज कैसे उगाएं

Image
  1. सर्वोत्तम बुवाई का समय: सर्दी का मौसम 2. मिट्टी का तापमान: इष्टतम मिट्टी का तापमान: 10-35°C. बीजों को अंकुरित होने में लगभग 7-10 दिन लग सकते है . 3. बीज बोने की सर्वोत्तम विधि: सबसे पहले नीचे की तरफ जल निकासी छेद के साथ अपनी पसंद का कंटेनर लें. कंटेनर के गमलों को 2 : 1 अनुपात के साथ मिट्टी में अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक खाद के साथ भरें । एक गमले के केंद्र पर 2 बीज बोएं। . बीज को अपनी उंगलियों से मिट्टी के माध्यम में थोड़ा दबाएं और उन्हें आसपास की मिट्टी से पूरी तरह से ढक दें।. तुरंत बोये हुए बीज को किसी वाटरिंग कैन से पानी दें । 4. डेहलिया फूल के पौधे के विकास के चरण अंकुरित अवस्था :  पहले 8-10 दिनों के भीतर बीज अंकुरित हो जाएंगे और छोटे अंकुर दिखाई देंगे। दूसरे सप्ताह से, बीज एक छोटे डेहलिया फूल के रूप में बढ़ने लगेंगे 5. डेहलिया फूल के पौधे की देखभाल किस प्रकार करें सूरज की रोशनी: डेहलिया फूल के पौधे को कम सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। इसलिए इन्हे कम चमकदार धुप में रखा जाना चाहिए पानी देने की तकनीक :  गर्मियों में हर दिन डेहलिया फूल के पौधे को पानी दें, प्लां...

गेंदा की खेती (Marigold farming) कैसे करें

Image
  गेंदा की खेती हमारे देश में लगभग हर क्षेत्र में की जाती है| यह बहुत महत्तवपूर्ण फूल की फसल है| क्योंकि इसका उपयोग व्यापक रूप से धार्मिक और सामाजिक कार्यों में किया जाता है| गेंदे की खेती व्यवसायिक रूप से केरोटीन पिगमेंट प्राप्त करने के लिए भी की जाती है| इसका उपयोग विभिन्न खाद्य पदार्थों में पीले रंग के लिए किया जाता है| गेंदा के फूल से प्राप्त तेल का उपयोग इत्र तथा अन्य सौन्दर्य प्रसाधन बनाने में किया जाता है| साथ ही यह औषधीय गुण के रूप में पहचान रखता है| कुछ फसलों में कीटों के प्रकोप को कम करने के लिए फसलों के बीच में इसके कुछ पौधों को लगाया जाता है| कम समय के साथ कम लागत की फसल होने के कारण यह काफी लोकप्रिय फसल बन गई है| गेंदा के फूल आकार और रंग में आकर्षक होते हैं| इसकी खेती आसान होने के कारण इसे व्यापक रूप से अपनाया जा रहा है| आकार और रंग के आधार पर इसकी दो किस्में होती हैं- अफ्रीकी गेंदा और फ्रैंच गेंदा| इसके प्रमुख उत्पादक राज्य महांराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्रा प्रदेश, तामिलनाडू और मध्य प्रदेश है| यदि उत्पादक बंधु गेंदा की खेती वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर करें, तो इसकी फसल ...

पुदीना की खेती कैसे करें?

Image
  पुदीना को मेंथा एवं मिंट के नाम से भी जाना जाता है। यह पेट के लिए रामबाण औषधि है, इसका इस्तेमाल दवाओं के अलावा ठंडे पेय पदार्थ एवं चटनी बनाने के लिए किया जाता है। इसके पौधों में कीटों के प्रकोप का खतरा बहुत कम होता है। इसके साथ ही पुदीना के पौधे कई हद तक जल जमाव जैसी स्थिति को सहन करने में सक्षम होते हैं। पुदीना की फसल जल्दी तैयार हो जाती है और इसकी 1 बार बुवाई करके 3 से 4 बार कटाई की जा सकती है। उपरोक्त कारणों से आज-कल पुदीना की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। अच्छी फसल होने पर मंडी में पुदीने के भाव भी अच्छे मिल जाते हैं। यदि आप भी पुदीना की खेती करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाला है। इसमें हम पुदीना की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु, रोपाई का समय एवं विधि, सिंचाई एवं कटाई के बारे में बात करेंगे। तो आइए सबसे पहले जानते हैं इसके लिए उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु के बारे में बात कर लेते हैं। किस्मों  1- जापानी टकसाल हिमालय (MAS0-1): यह CIMAP लखनऊ द्वारा जारी किया गया एक चयन है जिसमें 81% मेथॉल सामग्री के साथ 0.8 से 1.0% तेल (FWB) और ए...